देश में सबसे पहले कोरोना जोन बने भीलवाड़ा ने वायरस के खिलाफ महायुद्ध जीत लिया है। यह देश का एकमात्र शहर है, जिसने 20 दिन में कोरोना को हरा दिया। यह यूं ही संभव नहीं हुआ। जिला प्रशासन की ठोस रणनीति, कड़े फैसले, चुनाव की तरह मैनेजमेंट और जीतने की जिद। कलेक्ट्रेट के कर्मचारियों ने रात-रात भर जागकर काम किया और भीलवाड़ा को बेमिसाल बना दिया। यहां हालात इस कदर बिगड़े कि राजस्थान में सर्वाधिक 27 मरीज आ गए। ये सभी एक निजी अस्पताल के स्टाफ व मरीज थे। बढ़ती संख्या से घबराए प्रशासन ने खुद कहा था, ‘भीलवाड़ा बारूद (कोरोना) के ढेर पर है।’ लेकिन हौसला बरकरार रहा।
19 मार्च को पहला मरीज आया। अगले दिन पांच और मरीज आते ही जिला कलेक्टर राजेंद्र भट्ट ने कर्फ्यू लगा दिया। रोज कई मीटिंगें, अफसरों से फीडबैक और प्लानिंग। सरकार को रिपोर्टिंग। देर रात सोना। जल्दी उठकर फिर वही रूटीन। 3 अप्रैल को 10 दिन का महाकर्फ्यू। यही कड़ा फैसला महायुद्ध में मील का पत्थर साबित हुआ।
आखिरकार जिद की जीत हुई। जिस शहर को पहले देश का वुहान (चीनी शहर) और इटली की संज्ञा दी जाने लगी। वहां गंभीर रोगियों की मौत को छोड़ दें तो डॉक्टरों की कड़ी मेहनत ने कोरोना को मात दे दी। तीन डॉक्टर सहित 21 संक्रमित ठीक कर दिए। अब 4 मरीज हैं। यही वजह है कि भीलवाड़ा को केंद्र सरकार से भी तारीफ मिली। क्लस्टर कंटेनमेंट का यह मॉडल देशभर में लागू हो रहा है, अब कोरोना से लड़ने का तरीका पूरा देश भीलवाड़ा से सीखेगा।
भीलवाड़ा मॉडल ग्राउंड रिपोर्ट: कोरोना से लड़ा महायुद्ध, जिसकी देशभर में चर्चा, वुहान बनने से ऐसे रोका